तो क्या मन्ज़िल दूर बहुत है,
मरुस्थल है धूल बहुत है,
विश्वासों का कोश बचा है,
हम दिन में हम रात चलेंगे,
हम तुम मिलकर साथ चलेंगे॰॰॰॰॰
ले हाथों में हाथ चलेंगे॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
झुरमुट में से राहें होंगी,
पदचापों की आहें होगी,
पर रस्ते चुपचाप रहेंगें,
हम तुम करते बात चलेंगे,
ले हाथों में हाथ चलेंगे॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
हम तुम मिलकर साथ चलेंगे॰॰॰॰॰
राहों पर सागर आ जाऐँ,
घिर आऐँ घनघोर घटाऐँ,
कृष्ण मेघ क्रोधित हो जायेँ,
चाहे हो बरसात चलेँगे॰॰॰॰॰॰॰॰
हम तुम मिलकर साथ चलेंगे॰॰॰॰॰
ले हाथों में हाथ चलेंगे॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
काँटों को तुम ताक में रखना,
मन्ज़िल को तुम आँख में रखना,
विक्षोभों से तुम ना डरना,
हर खतरे से लड़ जाऐँगे,
कर के दो-दो हाथ चलेंगे,
हम दिन में हम रात चलेंगे,
हम तुम मिलकर साथ चलेंगे॰॰॰॰॰
ले हाथों में हाथ चलेंगे॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
आँधी आऐँ अड़ना होगा,
तूफानों से लड़ना होगा,
पर तुम थक कर हार न जाना,
तुम आख़िर तक साथ निभाना,
मुश्किल हो हालात चलेँगे,
हम तुम मिलकर साथ चलेंगे॰॰॰॰॰
ले हाथों में हाथ चलेंगे॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
हम तुम मिलकर साथ चलेंगे॰॰॰॰॰
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