सन्नाटों में शोर बहुत है, आवाज़ों में खालीपन,
धूप जमा देती है ठन्डी, पर सूखी बरसातें हैं।
चन्दा मामा आज न आना, बड़ी रौशनी फैलाते हो,
तुम रोज़ चाँदनी करते हो, हम फिर से जल जाते हैं।
कुत्तों के बिस्कुट बिकते हैं, तुम लाइन लगा-लगा लेते हो,
पर रोटी फिर रह जाती है, हम फिर भूखे सो जाते हैं।
इन्सानों में हिम्मत कम है, सोने में चमकार बहुत,
फिर तुमने इक दाम लगाया, फिर हम बिकने जाते हैं।
ख्वाबों से जो प्यार हैं करते, वो दिन में सो लेते हैं,
रातों में बिखराव बहुत है, सब सपने फट जाते हैं।
1 comment:
Bahut Khoob Ekdum Pyari. Sachhe maynon mein kavita hai. na jyada Dimag Ka Dakhal Na Koi shikawe gile sedhe seedhe bus dil ki baat kah di. Aap ne rythem ka bhi achha khyal rakha hai. Bar Bar gungunane ka man karta hai. Seedhe Dil Per lagi Suprem Bhai JI. Badhaiyan. Ouro ki tarah nahi hai jo kya kahna chahte hain kyun kahana chahte hain kuch pata hi nahi chalta. Bus aab Aap jaldi Wo last semester likho mujhe besabri se intehjar hai..
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