कुछ कह रही है ये हवा रोज़ की तरह,
कहीं किसी कोने में फिर याद सी जागी है।
तेरा साथ न होने का कोई गिला नहीं,
पर तेरी दूरी का एहसास अभी बाकी है।
तुम भी देखते हो छिप-छिप कर, छिपाता नहीं है परदा,
सिलवटें कह रही हैं, इस बार तू झाँकी है।
यहाँ तो ज़िन्दगी चलती है अपनी चाल से तेज़,
वहाँ तेरी रफ़्तार का अन्दाज़ अभी बाकी है।
यूँ तो तोड़ रखी हैं सारी चहारदीवारियाँ,
पर हवा की वो हल्की सी दीवार अभी बाकी है।
दिख जाते हो तुम, फिर हो जाते हो गुम,
पर रात कह रही है, कुछ बात अभी बाकी है।
कुछ न बोलोगे तुम सब जान जाऊँगा मैं,
ख़ामोशी कह रही है, अल्फ़ास अभी बाकी है।
झूठ कहती है दुनिया कि मुझे मौत आ गई है,
मैं जानता हूँ मैं जिन्दा हूँ, के तेरे सीने में कुछ साँस अभी बाकी है।
कहीं किसी कोने में फिर याद सी जागी है।
तेरा साथ न होने का कोई गिला नहीं,
पर तेरी दूरी का एहसास अभी बाकी है।
तुम भी देखते हो छिप-छिप कर, छिपाता नहीं है परदा,
सिलवटें कह रही हैं, इस बार तू झाँकी है।
यहाँ तो ज़िन्दगी चलती है अपनी चाल से तेज़,
वहाँ तेरी रफ़्तार का अन्दाज़ अभी बाकी है।
यूँ तो तोड़ रखी हैं सारी चहारदीवारियाँ,
पर हवा की वो हल्की सी दीवार अभी बाकी है।
दिख जाते हो तुम, फिर हो जाते हो गुम,
पर रात कह रही है, कुछ बात अभी बाकी है।
कुछ न बोलोगे तुम सब जान जाऊँगा मैं,
ख़ामोशी कह रही है, अल्फ़ास अभी बाकी है।
झूठ कहती है दुनिया कि मुझे मौत आ गई है,
मैं जानता हूँ मैं जिन्दा हूँ, के तेरे सीने में कुछ साँस अभी बाकी है।
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