आज-कल टैबलेट का बाज़ार बहुत गरम है . जहाँ देखो वहां टैबलेट की धूम है . हमारे ज़माने में देह गरम होने पर टैबलेट लेते थे।हलकी सी हरारत का अंदेशा हुआ नहीं कि मा ने सामने रख दी टैबलेट । टैबलेटों में टैबलेट सीतामाल टैबलेट .
हालांकि टैबलेटों की दुनिया में तमाम टैबलेट आई-गईं जैसे की पैञ्जोन, एनासिन, विक्स -एक्शन फाइव 500 आदि इत्यादि। .
लेकिन जो रुतबा सीतामाल को प्राप्त था वो रुतबा कई शताब्दियों बाद सिर्फ एक और टैबलेट को प्राप्त हुआ आई-पैड। iPad ने हर सुनवाइये में ये बयां दिया - ' योर ऑनर में इस अदालत में चीख चीख क कहूँगा की मैं टैबलेट नहीं हूँ
लेकिन सितामाल इससे बेखबर थी .. वो बेफिक्री से कभी जुखाम- कभी बुखार और कभी नज़ले और कभी मियादी से जंग कर रही थी . कभी 500mg की एक न हुई तो 250 की दो। या कभी 1000 की हुई तो रुमाल में रख कर दांतों से तोड़ ली .
लेकिन इन् सब नयी टैबलेटों में बड़ा लफड़ा है . mg MB में बदल गया है और रेटिना डिस्प्ले, amoled screen और पता नहीं क्या क्या . इतने तो फीचर हैं की लगता है की दुनिया को परग्रही आक्रमण से बचाने का कोई हथियार हो।
राज्यों क मुख्यमंत्री हों या सिनेमा - हाल के संतरी सब क पास टैबलेट है. कोई हाथ में पकडे है कोई जेब में डाले है कोई झोले में लटकाए है . त्वरित उपचार के लिए मौजूद . हरारत हुई नहीं की टैबलेट निकला . एक नयी तरह के बुखार का इलाज है . उसपर तुर्रा ये की ये बुखार भी इसी की देंन है. मर्ज भी इसी का दिया हुआ है और इलाज भी यही है।
विद्द्वानो का मत है की इस नए टेबलेट और प्रेम में भयंकर समानताएं हैं . प्रेम भी कुछ इसी तरह से है . जख्म भी वही और मरहम भी वही . वो बिचारे विद्द्वान अपनी बात पूरी तरह समाप्त भी न कर पाए थे की भागते भागते एक और टेबलेट वहां आ गयी। मैंने कोतुहल वश उससे पूछा ' कौन ग्राम गोरी ?'
वो हाँफते हुए बोली की 'सुने हैं की यहाँ कुछ टेबलेट वब्लेट प्रेम व्रेम क बारे में विद्वान लोग चर्चा कर रहे हैं तो हम भी भागतीं हुई चली आई '
लेकिन गोरी तुम हो कौन ? वो बेचारी काफी काली हो चुकी थी लेकिन मैंने महिलोचित modesty का प्रयोग किया .
बोली हम भी टेबलेट हैं
कौनसी ?
संखिया की , हमको भी खा के प्रेमियों के गाँव के गाँव जान दिए हैं
बेहेन तुम्हारा जमाना गया। आज कल एक नये तरीके के टेबलेट से प्रेम जनमता है और आगे चल कर कोई और ही टेबलेट डिमांड करता है।
तो क्या प्रेमी जान नहीं देते?
नहीं बेहेन, अब वोए किस देते हैं . मिस देते हैं . नंबर देते हैं . चाभी देते हैं पर जान नहीं देते।
'तो मैं क्या करू कहाँ जाऊं?'
तुम कोई और देस जाओ जहाँ प्रेम में अभी भी जान हो। और न हो सके तो जोकू किराने की दूकान पे चली जाओ, वोए तुम्हे पीस क चूहेमार पुडिया बना देगा .
'लेकिन भैया तनिक हमे ये तो बता दो की हम अपने आने वाली नस्लों को क्या सिखाएं ? कोई ऐसा टेबलेट बताओ जिसमे स्कोप हो?'
मैंने धीरे से उसकी कान में कहा 'की आज कल बेहेन सिर्फ दो ही टेबलेट टॉप पे है ipad और ipill. इनका धंधा कभी मंदा नहीं होगा। एक प्रेम का उदगार है तो एक प्रेम की परिणति।
'तो भैय्या ये जो अखिलेस कर के हैं ये सब नौजवान लड़के बच्चों को कौनसा टेबलेट बाँट रहे हैं ?
'वो तो बड़ा खतरनाक टेबलेट है बेहेन , वो सोने का टेबलेट है . ये पिछले साठ सालों से वक्त वक्त पे हमे ऐसा टेबलेट बाँटते आ रहे हैं .'
'तो भैय्या क्या कायदा है इस टेबलेट का? सुबह साम , सुबह दुपहर साम, कैसे खाते हैं?'
नहीं बेहेन उसको पांच साल में एक बार खाया जाता है। फिर अगले पांच साल आदमी नाचे कूदे कौनो फरक नहीं .
हे हे हे .. हंसने लगी वो, तो भैया उसको टेबलेट काहे कह रहे हाँ? वो तो गोली है। तो ऐसा कहिये न की वो गोली चुसाते हैं . टैबलेटों का नाम काहे ख़राब करते हैं? टैबलेट तो दमदार चीज़ है, जान ले सकती है, जान दे सकती है. न दिखावा है, न छलावा ... अब न कहियेगा टैबलेट बट रहा है. कहिये गोली दे रहा है ....
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