कहते हैं सब नाथू ने थी बापू जी को गोली मारी,
बंधु आज लेकिन तुमको हम सच्चाई बताते हैं,
क्रूर था वो, खूनी था वो, उसने शरीर छीना ,
पर हम आत्मा पे छुरियाँ चलाते हैं
साल भर तो स्वर्ग में वो चैन से बिता देते हैं,
जन्म दिवस पे फिर वो दुखी मन जाते हैं,
खून सने हाथों से जो फुलवा चढ़ा देते हो,
गाँधी बाबा एक बार फिर मर जाते हैं
बंधु आज लेकिन तुमको हम सच्चाई बताते हैं,
क्रूर था वो, खूनी था वो, उसने शरीर छीना ,
पर हम आत्मा पे छुरियाँ चलाते हैं
साल भर तो स्वर्ग में वो चैन से बिता देते हैं,
जन्म दिवस पे फिर वो दुखी मन जाते हैं,
खून सने हाथों से जो फुलवा चढ़ा देते हो,
गाँधी बाबा एक बार फिर मर जाते हैं
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