स्कूल के दौरान इससे मज़ेदार और स्रजनात्मक लेखन प्रश्नोत्तरों के दौरान शायद ही किसी ने किसी ने किये हों. हमारी (इसे कुछ लोग मेरी भी कहते हैं, लेकिन हम लखनऊवासी 'मैं' को 'मैं' नहीं 'हम' कहते हैं क्योंकि हम कभी अकेले नहीं चलते, जहाँ चलते हैं चार लड़के दायें बाएँ हमेशा रहते हैं.) हिंदी की अध्यापिका महोदया हमेशा हमसे इसीलिए परेशान रहीं. कभी हम इस प्रश्न का उत्तर खाली छोड़ के नहीं आये. एक वाक्य बोलिन तौ दुई लिखेन की एक तौ सही हुइबे करिहै. एक बार तो उन्होंने हद्द ही कर दी. प्रश्न में सिर्फ वाक्य प्रयोग करने को बोला अर्थ लिखने को नहीं. हम बड़े खुश ... पढ़ लो ये रायता फैलाये थे हम.
सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना: मेरी सिट्टी-पिट्टी बहुत दिनों से गुम है, मिलती ही नहीं.
असमान फट पड़ना: मेरा असमान बहुत दिनों से फटा पड़ा है. कृपया उसे जोड़ दें.
अब इस पर नंबर तो मिले नहीं. हाँ लेकिन सबके सामने बुला के वाह-वाही खूब मिली, और क्लास से तीन दिन की छुट्टी भी. खैर अब इतिहास के पन्नों से दूर निकल कर आज के वास्तविक मुद्दे पर आते हैं. आज का टॉपिक है - आधुनिक मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ
वैसे इस टॉपिक पर अधिक प्रकाश डालने से पहले ये ज़रूरी है की मैं आप लोगों को मुहावरों और लोकोक्तियों (कहावतों) में अंतर बता दूं. (मुझे पूर्ण विश्वास है की जब इस प्रश्न के उत्तर में नंबर मिलने का समय रहा होगा तो आपने भी नहीं पढ़ा होगा)
मुहावरों का स्वयं में कोई अर्थ नहीं होता, अर्थात वे अपूर्ण वाक्य होते हैं, बहुधा उनमे क्रिया नहीं होती और जब तक वे वाक्य में प्रयुक्त न हों उनका कोई अर्थ नहीं होता. जैसे - अंधे की लाठी, आँख का तारा आदि-इत्यादि.
(अब जा के हमे समझ आया, ये मैडम की चाल थी हमसे वाक्य प्रयोग करवाने की, अगर नहीं करते तो पड़े रहते बेकार उनके मुहावरे)
वहीँ दूसरी ओर कहावतें या लोकोक्तियाँ अपने आप में पूर्ण वाक्य होते हैं और उनका पूर्ण अर्थ भी होता है. जैसे - न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी.
लेकिन कालांतर में अब ये जन सामान्य के दैनिक भाष्य का अटूट अंग बन चुके हैं (गज़ब हिंदी लिख दिए हो त्रिवेदी जी, समझ आ रही है..?)
१. वाट लगाना:
२. लग लेना
३. ले लेना
४. झंड हो जाना
५. रायता फैलना
६. डंडा हो जाना
७. सेट्टिंग हो जाना
८. केला काटना
९. चिंटू बनाना
१० के.एल.पी.डी. हो जाना
अब आप का होमवर्क ये है की आप इनका अर्थ लिख कर वाक्य प्रयोग करें और हम नंबर देंगे ...
6 comments:
Bhaiya Ji Hadd ho gayi hai.. Ek our Adhoori rachna?? Bahut maja aata hai na. Phale ki poori hui nai our ek chipka diye please please please please please please please please please please please please please please please please please please please Poooooraaaaa kiiijiiiiyeeeee!!!
aapke is kaavya page ka bhog pehli baar liya hai magar maan gaye I think u shud take ur writing seriously....
Great work Suprem.. hum to tumhare pahse se hi fan hain... Likhte raho....
Good one as always ! Keep walking :-) Keep Writing :-)
जब पढना शुरू किया तो लगा आज अध्यापिका जी की “वाट लगेगी” जो शायद नैतिक न हो लेकिन आपकी रचनाओं से “लग लेना“ हमारी पुरानी आदत है । प्रथम अनुच्छेद के बाद बीते दिनो के वाक्य प्रयोग पढकर लगा कि आप तो अपनी ही “लेने में” लगे हुए है लेकिन जैसा स्वादिष्ट रायता आपने फैलाया उसे सोचकर अध्यापिका महोदया को मुस्कुराहट अवश्य आयी होगी ....... अकसर ऐसे पूरी कक्षा को “झंड करने “ का भी अपना ही मजा है क्योंकि आधी कक्षा को यह अवश्य लगा होगा कि कहीं आपकी कोई मैम के साथ “सैंटिग” तो नही हो गई। लोकोक्ति और मुहावरे के मध्य के अंतर को मै आज समझ पाया । साथ में यह भी कि मेरे हिंदी अध्यापक ने मुझे “चिंटू” बनाया ।
अधूरी सी दिखने वाली रचना वास्तव में पूरी ही होती है .... लेकिन शायद आपके प्रंशसको को अधिक की उम्मीद है इसीलिए लगता कि उनका “केला काटा गया” और कुल मिलाकर “के.एल.पी.डी” हो गयी ।
pawan bhai ... aapka comment padhke "fultoo" maza aa gaya :) publishing it
@jeet-aapke sawal ka jawab pawan ne de diya ab "chill maro"
@alok and amit thanku --- aap logon ke kiye hi likhte hain hum .. keep on showering lubricants so that my pen does not get jammed :-)
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