सिर्फ चार लाइन हैं ...
चिराग़, मुझे नहीं पता क्या तेरी ख़ता है,
पर जो भी रौशनी करता है उसे जला देते हैं ये लोग.
फकीर, तू किस तलाश में इस शहर में निकला है,
छत पे बैठे परिंदे भी उड़ा देते हैं ये लोग.
-- विद्रोही भिक्षुक
चिराग़, मुझे नहीं पता क्या तेरी ख़ता है,
पर जो भी रौशनी करता है उसे जला देते हैं ये लोग.
फकीर, तू किस तलाश में इस शहर में निकला है,
छत पे बैठे परिंदे भी उड़ा देते हैं ये लोग.
-- विद्रोही भिक्षुक
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