समय का अभाव कहें या विचारों में लगी दीमक, लेकिन ग्रसित तो हूँ मैं इस समस्या से. अर्सा हुआ और कोई अपडेट भी नहीं आया. ऐसी शिकायतों से आजिज़ आ कर कुछ छापना पड़ रहा है. माल पुराना है, तकरीबन दस एक साल. लेकिन तब हमें "माल" लगता था. और ये ज़रूरी भी है, दो-चार विजिटर्स जो बचे हैं, उन्हें बचाने के लिए, और ये बताने के लिए कि - "त्रिवेदी मरा नहीं, त्रिवेदी मरते नहीं" :-)
कुछ एक चाहने वाले कोडर भाइयों का कथन है कि मुझे एक "तकनीकी - चिट्ठा" भी लिखना चाहिए. तो खैर काम चालू है, कच्छप गति से ही सही, पर है चालू. "त्रिवेदी रुका नहीं, त्रिवेदी रुकते नहीं" :-).
तब तक आनंद लें कच्ची कविता का, ठूंसे हुए अलंकारों का, और चालू तुकबंदी का. उम्मीद है नया साल कुछ नया लेकर आयेगा...
तुम ही मेरी कविता हो, इस निर्जल में सरिता हो,
तम हृदय जिसे सहेजा, उष्ण वही सविता हो,
तुम ही हो जिसके कम्पन पर, थिरकी थी यह लेखनी,
वे तेरे ही स्वर थे, फिरकी थी जिन पर रागिनी,
उस शब्द-बाण के स्वामी तुम थे, जिसने भेदा था हृदय मेरा,
वह अलख निराली तेरी थी, तपता था जिसमें कुन्दन,
वह तुम ही थे जिसने अन्जाने में झंकृत किये तार तन
सप्तपर्णा, शीत-स्वर में वह तेरा आह्वान था,
मैं न जिसको समझ सका, उफ़! कितना अन्जान था,
कितना तुझमें दैन्य था, और कितना था आवेश,
मर्म न तेरा समझ सका, तुम बदले थे वेश,
यदि समक्ष आ गए होते, तुम चक्षु-चपल-चर-के-चल में,
छवि सहेज कर रखता तेरी, युग-युग तक अंतर्मन में.
कविता मेरी बुनी पड़ी, है हुई लेखनी जाम.
तुम दिखते हो मुझको अपलक एकटक अविराम.
2 comments:
Suprem bhaiya ye to "ROBOT Movie (han wahi rajnikant wali) k hindi me anuwadit "NAINA MILE" song type lag raha ahi."
चिंता ना करिए त्रिवेदी जी ... नए विसिटर्स आने लगे हैं... लिखना जारी रखिये... :)
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