फिर चार लाइने हैं...
वो फ़नकार है बड़ा , उसका बड़ा नाम है
तहख़ाने में उसके हड्डियाँ तमाम हैं
उन्हें फिर से वज़ीर चलो मिल के हम चुन लें
सुनते हैं सर पे उनके तगड़ा इनाम है
---विद्रोही भिक्षुक
वो फ़नकार है बड़ा , उसका बड़ा नाम है
तहख़ाने में उसके हड्डियाँ तमाम हैं
उन्हें फिर से वज़ीर चलो मिल के हम चुन लें
सुनते हैं सर पे उनके तगड़ा इनाम है
---विद्रोही भिक्षुक
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