Wednesday, October 30, 2013

फिर चार लाइने हैं...

फिर चार लाइने हैं...

वो फ़नकार है बड़ा , उसका बड़ा नाम है
तहख़ाने में उसके हड्डियाँ तमाम हैं
उन्हें फिर से वज़ीर चलो मिल के हम चुन लें
सुनते हैं सर पे उनके तगड़ा इनाम है

                     ---विद्रोही भिक्षुक



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