एक मित्र हमारे हैं, अक्सर मुख-पुस्तक पर भ्रांतियां फैलाते पाए जाते हैं। बड़े सनसनीखेज खुलासे करते हैं और अंग्रेजी की मदर-सिस्टर यूनिफिकेशन करने में उन्हें खासकर के महारथ हासिल है. जैसे ---
-- एक दुर्दांत हत्यारे ने फांसी पर लटका कर आदमी को मारा -- आगे प्रश्नचिह्न ??
फिर कोई उनकी बड़ी सी पोस्ट पढ़ कर उन्हें बताता है --
--भाई जिसे तुम हत्यारा कह रहे हो वास्तव में वो जल्लाद है, ये उसकी नौकरी है। अपनी पोस्ट खुद तो पढो ...
-- नहीं, I is not talking abot see the killer or the is being killed. I am toking about फाँसी Plz check. See urself. The point I am making is -- Shuld we use rope as a method of killing when judge orders killing or should we use power chairs or shud we use toxic injections. this is a main question of society?
भाई हर rope फांसी नहीं होती, हर पॉवर इलेक्ट्रिक नहीं होती और हर टोक्सिन lethal नहीं होता
बेचारे जैसा हिंदी में सोचते हैं, वैसा ही अंग्रेजी में तर्जुमा कर देते हैं
उदाहरणार्थ -- I am doing dancing. (मैं नृत्य कर रहा हूँ)
एक बार उन्हें यह वाक्य अंग्रेजी में अनुवाद करना था
-- वह एक बार गया तो ऐसा गया की लौट कर ही नहीं आया --
''ही वैण्टा-वैण्ट तो ऐसा वैण्ट कि केमे नॉट''
आइये आज हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर संकल्प करें की हम जब हिंदी में सोचेंगे तो उसे हिंदी में ही लिखने में शर्म नहीं महसूस करेंगे।
-- एक दुर्दांत हत्यारे ने फांसी पर लटका कर आदमी को मारा -- आगे प्रश्नचिह्न ??
फिर कोई उनकी बड़ी सी पोस्ट पढ़ कर उन्हें बताता है --
--भाई जिसे तुम हत्यारा कह रहे हो वास्तव में वो जल्लाद है, ये उसकी नौकरी है। अपनी पोस्ट खुद तो पढो ...
-- नहीं, I is not talking abot see the killer or the is being killed. I am toking about फाँसी Plz check. See urself. The point I am making is -- Shuld we use rope as a method of killing when judge orders killing or should we use power chairs or shud we use toxic injections. this is a main question of society?
भाई हर rope फांसी नहीं होती, हर पॉवर इलेक्ट्रिक नहीं होती और हर टोक्सिन lethal नहीं होता
बेचारे जैसा हिंदी में सोचते हैं, वैसा ही अंग्रेजी में तर्जुमा कर देते हैं
उदाहरणार्थ -- I am doing dancing. (मैं नृत्य कर रहा हूँ)
एक बार उन्हें यह वाक्य अंग्रेजी में अनुवाद करना था
-- वह एक बार गया तो ऐसा गया की लौट कर ही नहीं आया --
''ही वैण्टा-वैण्ट तो ऐसा वैण्ट कि केमे नॉट''
आइये आज हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर संकल्प करें की हम जब हिंदी में सोचेंगे तो उसे हिंदी में ही लिखने में शर्म नहीं महसूस करेंगे।