तम रात थी, कुछ कट गयी
सुध भोर थी आकर गयी,
ये दिन बड़ा लाचार था,
कुछ राग था कुछ प्यार था,
तुम पास थे सब साथ था,
तुम दूर थे, एहसास था,
फिर सूर्य की पहली किरण,
घन मेघ सारा छट गया,
तुम प्रेम सी नौका मिली,
मैं पार जीवन तट गया
धूप ने व्याकुल किया,
इक हाथ ने संबल दिया,
नयन भीगे, रूप व्यापक,
आर्द्र मौसम, देखो जहाँ तक
फिर जोर की बारिश हुई,
सब क्षोभ ढिल कर घुल गया,
तुम प्रेम सी नौका मिली,
मैं पार जीवन तट गया
सुध भोर थी आकर गयी,
ये दिन बड़ा लाचार था,
कुछ राग था कुछ प्यार था,
तुम पास थे सब साथ था,
तुम दूर थे, एहसास था,
फिर सूर्य की पहली किरण,
घन मेघ सारा छट गया,
तुम प्रेम सी नौका मिली,
मैं पार जीवन तट गया
धूप ने व्याकुल किया,
इक हाथ ने संबल दिया,
नयन भीगे, रूप व्यापक,
आर्द्र मौसम, देखो जहाँ तक
फिर जोर की बारिश हुई,
सब क्षोभ ढिल कर घुल गया,
तुम प्रेम सी नौका मिली,
मैं पार जीवन तट गया
3 comments:
Jabarjast !
Gud One
मर मर कर कितना थे जिन्दा, अब मरने के बाद जियेंगे.....गद्दे-चादर हाथ में ले लो, बने कफ़न ये साथ चलेंगे
इन लाईनों को 2011 में पढा था ....और 2013 में
फिर जोर की बारिश हुई,
सब क्षोभ ढिल कर घुल गया,
तुम प्रेम सी नौका मिली,
मैं पार जीवन तट गया......
2012 में कहां व्यस्थता रही...और उसने जीवन की दशा कितनी बदल सी....सब स्वत: पता चल गया ।
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