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मैं सबको साथ ले कर चला था जानिबे मन्ज़िल,
मगर लोग कटते गये, मैं अकेला रह गया।
"कौन" कहता है कि आसमाँ में सुराख़ नहीं हो सकता,
"कौन" एकदम सही कहता है, उसने फिज़िक्स पढ़ी है।
बस एक ही उल्लू काफी है, बरबादे गुलिस्ताँ करने को,
हर शाख़ पे उल्लू बैठे हैं, ये मिसयूटिलाइज़ेशन ऑफ उल्लू है।
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1 comment:
sahi hai.. :-) keep it up..
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